श्रीगंगानगर:आर्य समाज ने महर्षि दयानंद शिक्षा समिति के निष्पक्ष चुनाव करवाने की मांग की। क्या शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए यह कदम कारगर होगा? पढ़ें पूरी खबर! 🚀📢





   
     




  • आर्य समाज ने महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति के निष्पक्ष चुनाव करवाने की मांग की
  • अनियमितताओं पर आक्रोश व्यक्त किया तथा सदस्यता अभियान चलाने की मांग भी उठाई


श्रीगंगानगर, 5 मार्च 2025: आर्य समाज, श्रीगंगानगर प्रधान रतन भटनागर के नेतृत्व में शिष्टमण्डल ने अति. जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति, श्रीगंगानगर को पारिवारिक कब्जे से मुक्त करवाकर संस्था संविधान के अनुसार सदस्यता अभियान चलाने तथा निष्पक्ष चुनाव करवाने की मांग की है। शिष्टमण्डल में महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति एवं अन्तरंग सभा आर्य समाज सदस्य अजय चड्ढा, बीकानेर सम्भाग प्रभारी व उप प्रधान रवि चड्ढा, कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र भाटिया, मंत्री रवि प्रकाश वर्मा, आनन्द धवन, रामकुमार वर्मा, कानाराम, राज सक्सेना, सुधीर शर्मा, भीमराज ढुंढाड़ा, घनश्याम पाठक आदि शामिल थे।


महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति एवं अन्तरंग सभा आर्य समाज सदस्य अजय चड्ढा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति एक संवैधानिक संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा का विकास व प्रसार करना है तथा वर्तमान में डीएवी सी.सै. स्कूल, डीएवी (एमडी) कॉलेज, डीएवी लॉ कॉलेज, महर्षि दयानंद बीएड कॉलेज, महर्षि दयानन्द कन्या छात्रावास, स्वामी श्रद्धानंद छात्रावास आदि प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान संचालित है, जो आर्य समाज की सम्पत्ति है। 


लेकिन वर्ष 2015 के बाद कुछ राजनीतिक व प्रभावशाली बाहुबली लोगों ने अध्यक्ष बनकर इस समिति पर अपना कब्जा कर रखा है तथा इस षडयंत्र के तहत फेल करके बंद करने एवं इसकी बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा करने की साजिश के कारण विधि-विरूद्ध कार्य किया जा रहा है। वर्ष 2018 में समिति शिक्षा क्षेत्र में श्रीगंगानगर जिले में दूसरे नम्बर पर थी, जो आज 18वें नम्बर पर आ गई है।  


प्रधान रतन भटनागर ने कहा कि अध्यक्ष द्वारा अपने निजी स्वार्थवश संविधान की अवहेलना करते हुए अपने भांजे को निदेशक नियुक्त किया गया है, जिनकी वर्तमान में उम्र लगभग 80 वर्ष से अधिक है, जिन्हें वर्ष 2018 से 2022 तक चुनावी अधिकारी भी बनाया गया है, जो धारा 4 नियमों के विरुद्ध है। जबकि समिति सदस्य के परिवार का कोई भी व्यक्ति चुनाव अधिकारी नहीं बन सकता है। 

संविधान में वर्णित नियमों की धड़ल्ले से धज्जियां उड़ाई जा रही है तथा फर्जीवाड़ा व खानापूर्ति करके अपने चहेतों व रिश्तेदारों की दानदाता के रूप में फर्जी रसीद जारी की जाती है, जबकि आर्य समाज श्रीगंगानगर व अन्य व्यक्तियों द्वारा बार-बार दान देने का निवेदन करने पर भी उनकी रसीद नहीं काटी जाती है, ताकि वे समिति के दानदाता व मतदाता नहीं बन सकें।



बीकानेर सम्भाग प्रभारी रवि चड्ढा ने कहा कि वर्तमान अध्यक्ष द्वारा परिवारवाद व जातिवाद फैलाया जा रहा है तथा पक्षपातपूर्ण तरीके से अपने परिवार के सदस्यों को समिति में मनोनीत किया जा रहा है। चुनाव करवाने की आड़ में धांधलेबाजी की जाती है तथा दानदाताओं को सूचना तक नहीं दी जाती है, जबकि निर्वाचन-1995 के नियम की धारा 2 के अनुसार मतदाता दानदाताओं को 20 दिन पहले सूचना देनी अनिवार्य है। इस प्रकार जान-बूझकर महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति पर कब्जा करने का कुकृत्य किया जा रहा है, जिससे आर्य समाज सदस्यों व शहर के प्रबुद्ध नागरिकों में भारी रोष व्याप्त है।

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कोषाध्यक्ष धर्मेन्द्र भाटिया ने कहा कि महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति के 14 सदस्यों में से 10 सदस्य एक ही जाति हैं तथा पारिवारिक सम्बन्ध भी है। इस प्रकार इस संस्था द्वारा संचालित अनेक शिक्षण संस्थान परिवारवाद व भाई-भतीजावाद के कारण आज बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं, जबकि इस समिति की चल-अचल सम्पत्ति किसी की व्यक्तिगत नहीं होकर आर्य समाज, श्रीगंगानगर की है। लेकिन अध्यक्ष व प्रबंधक द्वारा ऑडिट रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की जाती है तथा आर्य समाज, श्रीगंगानगर में भी नहीं दी जाती है व सदस्यों को सूचना नहीं दी जाती है।  

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मंत्री रविप्रकाश वर्मा ने कहा कि समिति की पत्र-पत्रिकाओं में आर्य समाज व स्वामी दयानन्द के विचारों को गौण करके समिति को निजी व पारिवारिक संस्था बना दिया गया है। स्वामी दयानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय, श्रीगंगानगर की वर्ष 2018-2019 की स्मारिका मधुलिका में स्वामी दयानन्द जी का चित्र व आर्य समाज की शिक्षाएं हटा दी गई है। आर्य समाज के संस्थापक व विद्वानों का कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है।

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आर्य समाज पदाधिकारियों व सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति अध्यक्ष, प्रबंधक व निदेशक आर्य समाज तथा शिक्षा समिति के विरूद्ध कार्य कर रहे हैं तथा धांधलीपूर्वक चुनाव करवाकर महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति पर कब्जा कर लिया गया है एवं शिक्षा समिति में राजस्व की हानि पहुंचाकर पारिवारिक संस्था बना दिया गया है, जिसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 
आर्य समाज तथा दानदाता मतदाताओं की भावनाओं को मद्देनजर रखते हुए महर्षि दयानन्द शिक्षा समिति की सदस्यता खुलवाई जाए तथा संस्था को परिवारवाद से मुक्त करवाकर आईएएस या आरएएस अधिकारी नियुक्त कर उनकी देखरेख में निष्पक्ष चुनाव करवाए जाएं। इस पर अति. जिला कलेक्टर ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया।


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