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जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रसार होगा

जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रसार होगा



सृष्टि के पंच भौतिक तत्वों में जल का सर्वाधिक महत्व है और यही जीवन का भौतिक आधार है जल जीवन संरक्षण का मूल तत्व होने के कारण कहा गया है कि ‘‘जल ही जीवन है’’ या ‘‘जल ही अमृत’’ है इस धरती पर सभी प्रकार के प्राणियों तथा पेड़-पौधे वनस्पतियों का जीवन जल के कारण सुरक्षित है अतएव धरती पर जल संरक्षण के महत्व को मानकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् १९९२ में विश्व जल दिवस को २२ मार्च को मनाने की घोषणा की जिसका उद्देश्य सभी को शुद्ध व स्वच्छ जल उपलब्ध करवाना व जल संरक्षण के महत्व को जानना है। जल दिवस प्रति वर्ष २२ मार्च को मनाया जाता है। 
वर्तमान की भौतिकवादी संस्कृति, नगरीकरण, औद्योगीकरण आदि के कारण जल का अनावश्यक दोहन किया जा रहा है जिससे जल का संकट पैदा हो रहा है हमारे देश में भू-जल पीने योग्य पानी का मुख्य स्रोत माना जाता है। भू-जल दोहन में कुल सिंचित क्षेत्र में लगभग ६५ प्रतिशत और ग्रामीण पेयजल आपूर्ति में लगभग ८५ प्रतिशत योगदान देता है पूरे विश्व में भारत देश भू-जल दोहन के मामले में सबसे आगे है भू-जल के लगातार दोहन के कारण भारत देश में जल स्तर प्रति वर्ष ०.३ मीटर की दर से कम हो रहा है इसलिए भू-जल संरक्षण की आवश्यकता महत्त्वपूर्ण हो गई है।

हमारी प्राचीन संस्कृति में जल वर्षण उचित समय पर चाहने के लिए इन्द्र देवता व वरुण देवता का वर्षा के लिए पूजन किया जाता था। इसी प्रकार हिमालय के साथ गंगा, यमुना, सरस्वती आदि नदियों का स्तवन किया जाता था जिसके फलस्वरूप धरती पर जल संकट नहीं था। प्राचीन समय के राजा एवं समाजसेवी पेयजल हेतु कुओं, तालाबों तथा जल संचय के महत्व को जानते थे वर्तमान में जल का विदोहन होने से पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया है। भू-जल संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं, अभियान व सरकारी नीतियाँ शामिल हैं। जल संकट की चुनौतियों से निपटने हेतु तीन राष्ट्रीय जल नीति घोषित की गई है। 
जिसमें वर्ष १९८७, वर्ष २००२ तथा वर्ष २०१२ की राष्ट्रीय जल नीति है इन नीतियों में जल को एक प्राकृतिक संसाधन मानते हुए इसे जीवन, जीविका, खाद्य सुरक्षा ओर निरंतर विकास का आधार माना गया है तथा जल के उपयोग और आवण्टन में समानता तथा सामाजिक न्याय का नियम अपनाये जाने पर बल दिया गया है। इसी प्रकार भू-जल संरक्षण हेतु भू-जल बोर्ड राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण निगरानी स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से पूरे देश में जल स्तर और गुणवत्ता की निगरानी करता है। वर्ष २०१९ में भू-जल संरक्षण के संदर्भ में केन्द्र सरकार ने दो महत्वाकांक्षी अटल भू-जल योजना तथा जल शक्ति अभियान प्रारम्भ किए हैं।


अटल भू-योजना-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा २५ दिसम्बर २०१९ को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की ९५वीं जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में अटल भू-जल योजना की शुरुआत की। जल समस्या से निपटने के लिए अटल-भू जल योजना पर ५ वर्ष (२०२०-२१ से २०२४-२५) में ६००० करोड़ रुपये का खर्च आयेगा जिसमें से ३००० करोड़ रुपये विश्व बैंक तथा ३००० करोड़ रुपये भारत सरकार देगी। इस योजना से सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तरप्रदेश व राजस्थान राज्यों को लाभ मिलेगा। अटल भू-जल योजना से किसानों को खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में जल भण्डारण में मदद मिलेगी, जिससे किसानों की आय दोगुनी होगी।
इस योजना से देश के जिन क्षेत्रों में भू-जल का स्तर काफी नीचा चला गया है उस स्तर को ऊँचा उठाने में मदद मिलेगी। अटल भू-जल योजना के तहत सात राज्यों के ८३५० गाँवों में प्रत्येक ग्रामीण परिवार में वर्ष २०२४ तक घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया है।


देश में जल संकट की स्थिति को देखते हुए भारत सरकार के ०१ जुलाई २०१९ को जल सुरक्षा के लिए जल शक्ति अभियान योजना की शुरुआत की है जिसमें अन्य घटकों के अतिरिक्त भू-जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण घटक है जल शक्ति अभियान के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं- इसका मुख्य उद्देश्य परिसंपत्ति सृजन और संचार अभियानों के द्वारा जल संरक्षण और सिंचाई कार्य दक्षता संवर्धन को एक जन अभियान का स्वरूप प्रदान करना है। इसके अन्तर्गत वर्षा जल संचयन, जल-निकायों को पुनर्जीवन प्रदान करने बोरवेल रिचार्ज संरचनाओं तथा ढांचों को पुन: नवीनीकरण करना शामिल है।

विश्व जल दिवस पर हर वर्ष एक थीम निर्धारित किया जाता है। वर्ष २०२१ का थीम ‘‘पानी को महत्व देना’’ था। वर्ष २०२२ का थीम ‘‘भू-जल उद्देश्य को दृश्यमान बनाना या गायब होते हुए भू-जल को पुनः: बहाल करना था। वर्ष २०२३ का थीम - ‘‘परिवर्तन में तेजी’’ अनुसार जल की कमी को दूर करने के लिए तेज गति से बदलाव करने होंगे।
विश्व जल दिवस वर्ष 2024 की थीम ‘शांति के लिए जल का लाभ’ पर केन्द्रित है। इस थीम के तहत विश्व जल दिवस पर विभिन्न राष्ट्रों द्वारा कार्यक्रम आयोजित किए जायेगें।


इस प्रकार विभिन्न योजनाओं तथा अभियानों द्वारा जल संकट पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके लिए हमें अपनी जीवन शैली में भी सुधार लाने की आवश्यकता है अर्थात हम अपनी आवश्यकतानुसार कम से कम जल का उपयोग करें तथा जल की खपत कम करके हम जल संरक्षण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। जल दिवस पर हम सभी देशवासियों को चिन्तन करना आवश्यक है कि आज हम बंद बोतलों में पानी पी रहे हैं यदि पानी को इसी प्रकार बर्बाद करते रहे तो हमारी आने वाली पीढ़ी को कैप्सूल में पानी न खरीदना पड़े अत: ‘‘जल है तो कल है’’ के नारे तथा ‘‘पानी की सुनो पुकार मत बहाओ इसे बेकार’’ के साथ जल चेतना की जागृति लाने से जल संचय एवं जल संरक्षण की भावना का प्रसार होगा तथा इससे धरती का जीवन सुरक्षित रहेगा।

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